अरुण तिवारी, BHOPAL. कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा आजकल बहुत चर्चा में हैं। उनकी डिमांड इतनी है कि कथा कराने के लिए श्रद्धालुओं को इंतजार करना पड़ रहा है क्योंकि लंबी वेटिंग चल रही है। प्रदीप मिश्रा के लोकप्रिय होने के पीछे एक बड़ी वजह उनके टोटके माने जा रहे हैं। वे अपनी कथा के दौरान हर 20 से 25 मिनट में एक टोटका बता देते हैं। यानी आप उनकी दो से ढाई घंटे की कथा सुनते हैं तो घर जाते हुए आपके पास दस-बारह टोटकों की पूंजी होती है जिसके जरिए समस्याओं के निपटारे का दावा किया जाता है।
एक लोटा जल, सारी समस्याओं का हल
क्या वाकई में एक लोटा जल, उन सारी समस्याओं का हल है जिनसे इंसान जूझ रहा है। कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा तो यही दावा करते हैं। हमने हाल ही में बैतूल में हुई उनकी 2 घंटे की कथा को लगातार सुना। इस कथा में उन्होंने सात से आठ टोटके जनता को बता दिए। यानी औसतन हर बीस मिनट में वे जनता को उनकी समस्याओं के अनुरुप टोटका बता देते हैं।
किसी महिला को संतान नहीं है, किसी की शराब पीने की लत छुड़ाना है, जीवन में कोई बड़ी समस्या खड़ी हो गई है, किसी परिवार में गरीबी से मुक्ति पाना है, किसान को अकाल का सामना करना पड़ रहा है, बच्चे को परीक्षा में पास कराना है। आपके पास इस तरह की किसी भी तरह की समस्या है तो आपको परेशान होने की जरुरत नहीं, इसका उपाय प्रदीप मिश्रा की कथा सुनने के दौरान आपको मिल जाएगा। उनके पास हर समस्या के समाधान के लिए एक टोटका मौजूद है।
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कथा मंच से टोटकों से समाधान का दावा कर रहे पं. प्रदीप मिश्रा!
टोटका बताते ही नहीं बल्कि जताते हैं उनके टोटके ने किया काम
ऐसा नहीं है कि प्रदीप मिश्रा अपनी कथा में सिर्फ टोटका बताते हैं बल्कि ये भी जताते हैं कि उनके टोटके ने काम किया है। उनके पास जो चिट्ठियां आती हैं उनको वे नाम समेत पढ़कर सुनाते हैं और यदि वो व्यक्ति कथा में मौजूद हैं तो उसकी हामी भी भरवाते हैं। बैतूल की कथा में उन्होंने उस महिला का पत्र पढ़ा जिसमें उसकी बेटी और बहू को संतान होने के लिए आभार जताया। साथ ही खेत की फसल कैसे लहलहाई उसका प्रमाण भी कथा में दिया और जिसने चिट्ठी लिखी थी उसको सबके बीच खड़ा करवाया।
परेशान लोगों को टोटकों से उम्मीद जगती है
जानकार कहते हैं कि ये नई तरह की कथा का चलन है। और यही उनको लोगों के बीच मशहूर करता है। परेशान लोगों को टोटकों से उम्मीद जगती है और लोग उसको प्रयोग करने लगते हैं। किसको इससे कितना फायदा हुआ ये अलग बात है। चूंकि ये आस्था का सवाल है इसलिए लोग इस पर ज्यादा सवाल भी खड़े नहीं करते। पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री दरबार लगाकर लोकप्रियता बटोर रहे हैं तो प्रदीप मिश्रा टोटके बताकर प्रसिद्धि हासिल कर रहे हैं। ये अति विश्वास है या अंध विश्वास ये जनता जाने लेकिन कथा वाचकों की बुकिंग तो खूब हो रही है।